पांडवों का जन्म – दिव्य नियति का आरंभ महाभारत की गाथा में पांडवों का जन्म एक दिव्य संकल्प की पूर्ति थी, एक ऐसी नियति का आरंभ जिसने न केवल हस्तिनापुर बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष के भाग्य को नया आकार दिया। युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव — ये पाँचों भाई न केवल मानव थे, बल्कि देवताओं के अंश थे जिन्हें धर्म की स्थापना के लिए धरती पर भेजा गया था। उनका जन्म महाभारत के महायुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार करने वाली सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक था। "Train With SKY" के साथ इस अध्याय में हम जानेंगे कि कैसे दिव्य शक्तियों के संयोग से पाँच महान आत्माओं ने मानव रूप धारण किया और कैसे उनके जन्म ने महाभारत के इतिहास को गहराई से प्रभावित किया। पांडु का वनवास और वंश की चिंता पांडु के श्रापग्रस्त होने के बाद जब उन्होंने स्थायी वनवास ले लिया, तो उनके मन में वंश के विस्तार की गहरी चिंता उत्पन्न हुई। वे जानते थे कि श्राप के कारण वे सामान्य रूप से संतान उत्पन्न नहीं कर सकते, परंतु उन्हें कुरुवंश को आगे बढ़ाना भी था। कुंती का वरदान स्मरण तब कुंती ने पांडु को दुर्...
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